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स्व-विकास

प्रतिष्ठित प्राचार्य, जाने-माने कवि, बेबाक समीक्षक और निश्पक्ष संपादक डाॅ. वेद प्रकाश पाण्डेय, वैसे तो हिंदी साहित्य में किसी के परिचय के मोहताज नहीं हैं, मगर उनके साहित्यिक व्यक्तित्व के अनेक अनछुए पहलू हैं, जिसके विषय में जानने के लिए मेरा मन करीब ग्यारह वर्षों से बेचैन रहा है। वैसे तो वे रहने वाले बालापार, गोरखपुर के हैं, परन्तु वे किसान स्नात्कोत्तर महाविद्यालय सेवरही, तमकुहीरोड (कुशीनगर) में प्राचार्य रहे। उनको जानने वाले उनकी भावुकता, संवेदना, सृजनधर्मिता, सहानुभूति और मानवता के कायल हैं। ...
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