कई बार सड़क किनारे या मंदिरों के बाहर बैठे लोगों को देख के कुछ लोगों के मन में दया का भाव उत्पन्न होता है तो कुछ उनको देख के मुंह बिचकाते है.. किसी को उनके प्रति कुछ करने की धारणा कचोटती है, तो किसी को उनसे दूर भागने की जल्दी होती है... जो कुछ करना चाहते है वो उनको चंद सिक्के देके खुद को बहुत भारी परोपकारी मानते है.. और जो उनके स्पर्श मात्र से खुद को अशुद्ध महसूस करते है वो उनको मेहनत से कमाने-खाने की सलाह देके आगे बढ़ जाते है... इस पूरी प्रक्रिया में एक चीज जो स्थिर रहती है वो है उम्मीद भरी वो ...
रिपोर्ट की समस्या
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