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जेल-जीवन की झलक

3.6
2003

जेल जाने के पहले जेल के संबंध में हृदय में नाना प्रकार के विचार काम करते थे। जेल में क्‍या बीतती है, यह जानने के लिए बड़ी उत्‍सुकता थी। कई मित्रों से, जो इस यात्रा को कर चुके थे, बातें हुई। किसी ने कुछ कहा और किसी ने कुछ। इस विषय में कुछ साहित्‍य भी पढ़ा। महात्‍मा गाँधी के 'जेल के अनुभव' को बहुत पहले पढ़ चुका था। भाई परमानंद के 'जेलजीवन' को भी पढ़ा। जो कुछ सुना और जो कुछ पढ़ा, उस सबसे इसी नतीजे पर पहुँचा था कि जेल-जीवन है कठिन जीवन और वहाँ जो कुछ बीतती है उसे भूलना कठिन हो जाता है। 22 मई, 1922 ...

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लेखक के बारे में

जन्म : 26 अक्टूबर, 1890, अतरसुइया, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : पत्रकारिता, निबंध, कहान मुख्य कृतियाँ गणेशशंकर विद्यार्थी संचयन (संपादक - सुरेश सलिल) संपादन : कर्मयोगी, सरस्वती, अभ्युदय, प्रताप निधन 25 मार्च, 1931 कानपुर

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anil Chauhan
    01 अक्टूबर 2018
    जेल में आजादी छिन जाती है जो मौत से भी बदतर है
  • author
    Dropdi Meena
    27 मार्च 2024
    nice
  • author
    Jai Poonia
    13 अगस्त 2017
    ossam
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    Anil Chauhan
    01 अक्टूबर 2018
    जेल में आजादी छिन जाती है जो मौत से भी बदतर है
  • author
    Dropdi Meena
    27 मार्च 2024
    nice
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    Jai Poonia
    13 अगस्त 2017
    ossam