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जानते तो सभी हैं, पर मानते कितने हैं?

4.3
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बात सन 2014 अगस्त की है। तब मन में ठान लिया था कि इस अगस्त में स्वतंत्रता दिवस से प्रेरित लेख होना चाहिए। एक-दो दिन से कुछ मित्रों के फोन का भी दबाव था। लिखने की बेचैनी तो थी, भावों का संसार भी बस ...

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लेखक के बारे में

लेखन जिसके लिए संजीवनी है, पढ़ना असंख्य मनीषियों की संगति, किताबें मंदिर और लेखक उस मंदिर के देव-देवी। कठकरेज’ (कहानी संग्रह) तथा मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली से ‘जिनगी रोटी ना हऽ’ (कविता संग्रह), 'सम्भवामि युगे युगे' (लेख-संग्रह) व 'ऑनलाइन ज़िन्दगी' (कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। साझा काव्य संग्रह ‘पंच पल्लव’ और 'पंच पर्णिका' का संपादन भी किया है। वर्ण-पिरामिड का साझा-संग्रह ‘अथ से इति-वर्ण स्तंभ’ तथा ‘शत हाइकुकार’ हाइकु साझा संग्रह में आ चुके हैं। साहित्यकार श्री रक्षित दवे द्वारा अनुदित इनकी अट्ठाइस कविताओं को ‘वारंवार खोजूं छुं’ नाम से ‘प्रतिलिपि डाॅट काॅम’ पर ई-बुक भी है। आकाशवाणी और कई टी.वी. चैनलों से निरंतर काव्य-कथा पाठ प्रसारित होते रहने के साथ ही ये अपने गृहनगर में साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ का संयोजन करते रहे हैं। इन्होंने हिंदी टेली फिल्म ‘औलाद, लघु फिल्म ‘लास्ट ईयर’ और भोजपुरी फिल्म ‘कब आई डोलिया कहार’ के लिए पटकथा-संवाद और गीत लिखा है। ये अबतक लगभग तीन दर्जन नाटकों-लघुनाटकों का लेखन और निर्देशन कर चुके हैं। वर्तमान में कई पत्रिकाओं के संपादक मंडल से जुड़े हुए हैं। साल 2002 से हिंदी शिक्षण और पाठ्यक्रम निर्माण में संलग्न हैं तथा वर्तमान में दिल्ली परिक्षेत्र में शिक्षण-कार्य करते हुए स्वतंत्र लेखन करते हैं। ये विश्व-पटल पर छात्रों को आॅनलाइन हिंदी पढ़ाते हैं। राजापुरी, उत्तम-नगर, नई दिल्ली

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Samta Parmeshwar
    09 जुलाई 2018
    सही बात है जानते तो सब हैं पर मानता कोई नहीं है। यथार्थ से अवगत कराते हुए देश के प्रत्येक पहलू , मुद्दे पर दृष्टिपात एक सच्चा देशभक्त ही कान पकड़ कर करा सकता है। देश वासियों को तो दासता की आदत हो गई है।
  • author
    Om Dudi
    25 दिसम्बर 2018
    बहुत ही अच्छी रचना हैं! आज के इस दोर में हर व्यक्ति को यह समझना बहुत जरुरी है ।
  • author
    Vanita Handa
    10 सितम्बर 2018
    बहुत बढ़िया श्रीमान
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    Samta Parmeshwar
    09 जुलाई 2018
    सही बात है जानते तो सब हैं पर मानता कोई नहीं है। यथार्थ से अवगत कराते हुए देश के प्रत्येक पहलू , मुद्दे पर दृष्टिपात एक सच्चा देशभक्त ही कान पकड़ कर करा सकता है। देश वासियों को तो दासता की आदत हो गई है।
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    Om Dudi
    25 दिसम्बर 2018
    बहुत ही अच्छी रचना हैं! आज के इस दोर में हर व्यक्ति को यह समझना बहुत जरुरी है ।
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    Vanita Handa
    10 सितम्बर 2018
    बहुत बढ़िया श्रीमान