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बलात्कारियों की मानसिक प्रवत्ति पर एक संक्षित टिप्पणी

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“लड़कियाँ खुद चाँहती हैं कि हम उनके साथ वो सब करे।” “लड़कियाँ खुद छोटे — छोटे कपड़े पहनकर बाहर घूमती हैं हमें उकसाती हैं।” “लड़कियाँ क्‍यों देर रात तक सड़को में घूमती हैं।” “लड़कियाँ क्‍यों अकेले ...

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लेखक के बारे में

नाम- अंजली अग्रवाल पिता- स्व. श्री मोतीराम अग्रवाल माता- श्रीमति मिथलेश देवी अग्रवाल परिवार - 9 बहन, 1 भार्इ  जन्म- 25-05-1990 शिक्षा - एम. काम विधा - कविता और लेख  प्रकाशन - रचानाकार , स्वर्गविभा प्रेरणा दायक - परिवार सम्र्पक - अंजली अग्रवाल वार्ड न. 12 बाजार मोहल्ला परासिया 480441 जिला - छिन्दवाडा़ म.प्र.  

समीक्षा
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    नेहा✍️
    15 मई 2020
    बहुत सही लिखा अपने मैम लड़की के कपड़ो और रहन सहन को बलात्कर का कारण मानने वाले जरा ये क्यों नही बताते 5 साल 1 साल 6 महीने की बच्ची के बलात्कार का क्या कारण है क्या बच्ची का डाइपर भी इन्हें उकसाता है?? ये सब गंदी सोच और छोटी परवरिश का नतीजा है।
  • author
    Mohini Raj
    28 अगस्त 2016
    अंजली अग्रवाल जी, आपने बड़े ही अच्छे ढंग से ऐसे लोगों की मानसिकता को समझ कर यह लेख लिखा है; परंतु आपने बस समाज का काम लिखा ,आपने साथ ही लड़कियों को अपने अधिकारों के खिलाफ खड़े होने, और डटे रहने के लिए भी कुछ लिखा होता इसमें तो अच्छा होता; क्योंकि पुरुष सत्तात्मक समाज भारत की परंपरा बन गई है। यहाँ सुधार लानी है तो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ना होगा उनका गलत का डटकर विरोध करना होगा चाहे वो परिवार के खिलाफ ही क्यू ना जाना हो महिला ही महिला के हित में नही सोच पाती यह वो खुद ही गलत काम में घर के पुरुष सदस्यों का साथ देती हैं जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और वो इस गन्दी मानसिकता के शिकार होते हैं कि वो महिलाओं से ऊपर का दर्ज़ा रखते हैं । आज जरूरत है उनको अच्छे से समझा देने की ;कि यदि वो अपने बारे में ऐसे विचार रखें तो उनका पागलपन है और उस मानसिकता के शिकार हो वो कोई अत्याचार महिला पर करें तो वो उन दर्ज़ा इंसानों से नीचे क्र जानवरों के श्रेणी में कर देता है । अतः महिलाएं भी सोच समझ कर बेटों का लालन- पालन करे ताकि वो बड़े होकर धरती का बोझ और किसी मुस्कुराते चेहरे की कालिख न बनें ।समाज का विकास तभी संभव है जब पुरुष और महिला दोनों का विकास होगा । धन्यवाद ।आपका लेख पढ़कर अच्छा लगा :) :)
  • author
    Ravi Nagarwal
    24 अप्रैल 2020
    padhke achha laga. maine saare comments padhe kuch ne samaaj ko doshi thahraya to kisi me samskaro ko. kuch ne kathor kannon se iska ilaaj bataaya. lekin kya vastav me is samaj me rahkar ham isse achhote rah sakte hai. hamara bollywood tatha social media aaj yuvao ko bhatka raha hai. maine abhi tak kisi ladki apni rachna " Power of Semen" padhne ke liye comment nahi kiya. because ye thodi male dominated hai. mera aapse ise padhkar sujhav dene ka aagrah hai.
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    नेहा✍️
    15 मई 2020
    बहुत सही लिखा अपने मैम लड़की के कपड़ो और रहन सहन को बलात्कर का कारण मानने वाले जरा ये क्यों नही बताते 5 साल 1 साल 6 महीने की बच्ची के बलात्कार का क्या कारण है क्या बच्ची का डाइपर भी इन्हें उकसाता है?? ये सब गंदी सोच और छोटी परवरिश का नतीजा है।
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    Mohini Raj
    28 अगस्त 2016
    अंजली अग्रवाल जी, आपने बड़े ही अच्छे ढंग से ऐसे लोगों की मानसिकता को समझ कर यह लेख लिखा है; परंतु आपने बस समाज का काम लिखा ,आपने साथ ही लड़कियों को अपने अधिकारों के खिलाफ खड़े होने, और डटे रहने के लिए भी कुछ लिखा होता इसमें तो अच्छा होता; क्योंकि पुरुष सत्तात्मक समाज भारत की परंपरा बन गई है। यहाँ सुधार लानी है तो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ना होगा उनका गलत का डटकर विरोध करना होगा चाहे वो परिवार के खिलाफ ही क्यू ना जाना हो महिला ही महिला के हित में नही सोच पाती यह वो खुद ही गलत काम में घर के पुरुष सदस्यों का साथ देती हैं जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और वो इस गन्दी मानसिकता के शिकार होते हैं कि वो महिलाओं से ऊपर का दर्ज़ा रखते हैं । आज जरूरत है उनको अच्छे से समझा देने की ;कि यदि वो अपने बारे में ऐसे विचार रखें तो उनका पागलपन है और उस मानसिकता के शिकार हो वो कोई अत्याचार महिला पर करें तो वो उन दर्ज़ा इंसानों से नीचे क्र जानवरों के श्रेणी में कर देता है । अतः महिलाएं भी सोच समझ कर बेटों का लालन- पालन करे ताकि वो बड़े होकर धरती का बोझ और किसी मुस्कुराते चेहरे की कालिख न बनें ।समाज का विकास तभी संभव है जब पुरुष और महिला दोनों का विकास होगा । धन्यवाद ।आपका लेख पढ़कर अच्छा लगा :) :)
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    Ravi Nagarwal
    24 अप्रैल 2020
    padhke achha laga. maine saare comments padhe kuch ne samaaj ko doshi thahraya to kisi me samskaro ko. kuch ne kathor kannon se iska ilaaj bataaya. lekin kya vastav me is samaj me rahkar ham isse achhote rah sakte hai. hamara bollywood tatha social media aaj yuvao ko bhatka raha hai. maine abhi tak kisi ladki apni rachna " Power of Semen" padhne ke liye comment nahi kiya. because ye thodi male dominated hai. mera aapse ise padhkar sujhav dene ka aagrah hai.