pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और युवा-वर्ग

4.4
8674

सोशल नेटवर्किंग साइट्स युवाओं की जिंदगी का एक अहम अंग बन गया है। यह सही है कि इसके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के देश और दुनिया के हर कोने तक पहुँचा सकते हैं, परन्तु इससे अपराधों में ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

लेखन जिसके लिए संजीवनी है, पढ़ना असंख्य मनीषियों की संगति, किताबें मंदिर और लेखक उस मंदिर के देव-देवी। कठकरेज’ (कहानी संग्रह) तथा मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली से ‘जिनगी रोटी ना हऽ’ (कविता संग्रह), 'सम्भवामि युगे युगे' (लेख-संग्रह) व 'ऑनलाइन ज़िन्दगी' (कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। साझा काव्य संग्रह ‘पंच पल्लव’ और 'पंच पर्णिका' का संपादन भी किया है। वर्ण-पिरामिड का साझा-संग्रह ‘अथ से इति-वर्ण स्तंभ’ तथा ‘शत हाइकुकार’ हाइकु साझा संग्रह में आ चुके हैं। साहित्यकार श्री रक्षित दवे द्वारा अनुदित इनकी अट्ठाइस कविताओं को ‘वारंवार खोजूं छुं’ नाम से ‘प्रतिलिपि डाॅट काॅम’ पर ई-बुक भी है। आकाशवाणी और कई टी.वी. चैनलों से निरंतर काव्य-कथा पाठ प्रसारित होते रहने के साथ ही ये अपने गृहनगर में साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ का संयोजन करते रहे हैं। इन्होंने हिंदी टेली फिल्म ‘औलाद, लघु फिल्म ‘लास्ट ईयर’ और भोजपुरी फिल्म ‘कब आई डोलिया कहार’ के लिए पटकथा-संवाद और गीत लिखा है। ये अबतक लगभग तीन दर्जन नाटकों-लघुनाटकों का लेखन और निर्देशन कर चुके हैं। वर्तमान में कई पत्रिकाओं के संपादक मंडल से जुड़े हुए हैं। साल 2002 से हिंदी शिक्षण और पाठ्यक्रम निर्माण में संलग्न हैं तथा वर्तमान में दिल्ली परिक्षेत्र में शिक्षण-कार्य करते हुए स्वतंत्र लेखन करते हैं। ये विश्व-पटल पर छात्रों को आॅनलाइन हिंदी पढ़ाते हैं। राजापुरी, उत्तम-नगर, नई दिल्ली

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashish Pathak
    28 जनवरी 2019
    पांडेय जी! आप ने अपने लेख में बहुत सही बातों को उल्लेख किया है।बाँकी सब ठीक है लेकिन इन माध्यमों के कारण कहीं न कहीं हम अपनी वास्तविक पहचान भूलते जा रहे है।सम्बन्धों मे वह प्रेमानुराग जो कुछ दशक पहले हुआ करता था शनैः शनैः क्षीण होता जा रहा है।इस के अलावा भी इसके कई साइड इफेक्ट है जिनसे मानवीय जीवन के विभिन्न आयामों में असंतुलन पैदा हुआ है।पर जैसा आप नें अपने लेख में कहा है-समय ,जीवन परिवर्तनशील है,हमें उन परिवर्तनों के साथ सम्यक तरीके से गति करना चाहिए।...धन्यवाद!
  • author
    Suraj
    26 अगस्त 2017
    Wah! kya baat hai!
  • author
    Ravi Nagarwal
    24 अप्रैल 2020
    vaastav me ask ka yuva apni shaktiyo ko bhool apna keemati samay inhi sab ke peeche nashta kar raha hai. aaj ke yuva varga par based mri rachna "Power of Semen " pafhne ke liye aapko aamantrit kar raha hoo
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashish Pathak
    28 जनवरी 2019
    पांडेय जी! आप ने अपने लेख में बहुत सही बातों को उल्लेख किया है।बाँकी सब ठीक है लेकिन इन माध्यमों के कारण कहीं न कहीं हम अपनी वास्तविक पहचान भूलते जा रहे है।सम्बन्धों मे वह प्रेमानुराग जो कुछ दशक पहले हुआ करता था शनैः शनैः क्षीण होता जा रहा है।इस के अलावा भी इसके कई साइड इफेक्ट है जिनसे मानवीय जीवन के विभिन्न आयामों में असंतुलन पैदा हुआ है।पर जैसा आप नें अपने लेख में कहा है-समय ,जीवन परिवर्तनशील है,हमें उन परिवर्तनों के साथ सम्यक तरीके से गति करना चाहिए।...धन्यवाद!
  • author
    Suraj
    26 अगस्त 2017
    Wah! kya baat hai!
  • author
    Ravi Nagarwal
    24 अप्रैल 2020
    vaastav me ask ka yuva apni shaktiyo ko bhool apna keemati samay inhi sab ke peeche nashta kar raha hai. aaj ke yuva varga par based mri rachna "Power of Semen " pafhne ke liye aapko aamantrit kar raha hoo