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मेरे घर में सुबह के समय पापा टीवी में प्रवचन चला देते है बोलते है "सुनो इन्हे", माँ बोलती है "ये क्या बोलने वाले है हमे सब पता है", पापा बोलते है, "हाँ, पता तो सबको है लेकिन फिर भी ये प्रवचन देने ...
भाषा और बोली हमारे व्यक्तित्व और व्यवहार के दर्पण हैं। हमारे संस्कारों की पिटारी हैं। हमारे ज्ञान और मर्यादा का प्रमाण-पत्र हैं। मीठी बोली से जटिल समस्या भी हल की जा सकती है। भाषा और शब्द कितनी ...
होश पूर्वक जीना ही है विधि छठी इंद्री को अंग्रेजी में सिक्स्थ सेंस कहते हैं। सिक्स्थ सेंस को जाग्रत करने के लिए योग में अनेक उपाय बताए गए हैं। इसे परामनो विज्ञान का विषय भी माना जाता है। असल में यह ...
विद्यालय एक ऐसी जगह है जहाँ हर समुदाय से बच्चे आते हैं और एक औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिससे वो अपने समुदाय की संस्कृति और काम को सीखते हुए जोड़ते हैं और अपनी दक्षता में सुधार करते हुए सीखते हैं| ...
हमारी जिंदगी मे रिशताे की बहुत अहमियत है ,बहुत से रिशते है जैसे माता पिता ,पति पतनि ,बेटा और बेटी बहन भाई ,भाभी बहु चाची ,मासी ,नानी ,दादी और माँ इनमें सब रिशताे की अपनी अपनी गरिमा है ,इन मे एक ...
प्रतिष्ठित प्राचार्य, जाने-माने कवि, बेबाक समीक्षक और निश्पक्ष संपादक डाॅ. वेद प्रकाश पाण्डेय, वैसे तो हिंदी साहित्य में किसी के परिचय के मोहताज नहीं हैं, मगर उनके साहित्यिक व्यक्तित्व के अनेक अनछुए ...
सृष्टि में मनुष्य जाति का गर्भधारण करने वाली नारी,हमेशा सुकोमल,संवेदनशील और प्रेमल रही है | उसने विभिन्न संस्कृतियों को तहजीब सिखायी है, असंख्य पीढ़ियों को संस्कार दिए हैं | वह घर में गृहिणी है, पत्नी ...
हिन्दी भारतीय आर्य- भाषा परिवार की भाषा है। यह संस्कृत भाषा से निकल कर प्राकृत भाषा काल के तीनों सोपानों, पालि,पाकृत और अपभ्रंष को पार करती हुई आज समूचे भारत की सम्पर्क भाषा बन गई है। इसका विकास ...
आजकल नारी को समान अधिकार आौर नारी सशक्तिकरण की बात काफ़ी गंभीरता से लिया जा रहा है।मुझे आश्चर्य और दुख भी हो रहा है। आश्चर्य इसलिय की सभ्यता के इतने साल बीत जाने यह बात हो रही है।इस बीच कितनी ...
रीया अभी तीसरी कक्षा में अभ्यास करती है| उसने आज उसकी क्लास में पढ़ते एक लड़के को जबरदस्ती चूमने की कोशिश की थी | इतना ही नहीं उसने लड़के के कपडे भी उतारने की कोशिश की थी | इस सिलसिले में उसके माता ...
आज यूँ ही लगा कि इंसान के पास कितनी तरह के दुःख होते हैं, हर दुःख किसी एक कंधे पर सिर रख कर नहीं रोया जा सकता। हर व्यक्ति की सेंसिबिलिटी अलग होती है जो हमारे अलग-अलग मूड्स के साथ मैच करती है. यूँ ही ...
सुख की ऐसी कोई शर्त नहीं होती, हाँ लोभ की जरूर होती है ! लोभ कहता है पहले हम तब संसार !! पर सच तो यही है कि ऐसे लोग फिर भी सुखी नहीं रह पाते और सुख पाने व झपटने की कोशिश मे वो अपना एक-एक पल का सुख खो ...
कस्त्वं भो कविरस्मि तत्किमु सखे क्षीणो S स्यनाहारत : धिग्देशं गुणिनो S पि दुर्गतिरियम् देशं न मामेव धिक् | पाकार्थी क्षुधितो यदैव विदधे पाकाय बुद्धिं तदा ...
कई बार सड़क किनारे या मंदिरों के बाहर बैठे लोगों को देख के कुछ लोगों के मन में दया का भाव उत्पन्न होता है तो कुछ उनको देख के मुंह बिचकाते है.. किसी को उनके प्रति कुछ करने की धारणा कचोटती है, तो किसी ...
शक करना आसान है तभी सब कर लेते हैं, यकीन करने के लिए हिम्मत और हैसियत चाहिए । संतुष्टि बहुत ही छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण शब्द है, समय से हो तो खुशहाली, जल्दी हो जाए तो नाकामी और देर तक न हो तो ...