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तुलसीदास जी के दोहे
तुलसीदास जी के दोहे

तुलसीदास जी के दोहे

1.राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार | तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर || अर्थ: तुलसीदासजी का ये  कहना  हैं कि हे मनुष्य ,यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखरूपी द्वार की ...

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