pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी
Pratilipi Logo
जहां चाह, वहां राह
जहां चाह, वहां राह

जहां चाह, वहां राह

जहां चाह, वहां राह सेठ धनीदास के मन में ईष्र्या का कड़वा जहर इस कदर हावी, जिसकी कड़वाहट का कोई इलाज नहीं था । वह पूरे दिन मिठाई की दुकान में बैठे रहता, जब भी रतरू को देखता, उसकी छाती पर ईष्या का ...

4.6
(47)
34 मिनट
पढ़ने का समय
2307+
लोगों ने पढ़ा
library लाइब्रेरी
download डाउनलोड करें

Chapters

1.

जहां चाह, वहां राह

629 4.7 6 मिनट
11 मार्च 2022
2.

जहां चाह, वहां राह (२)

557 4.8 5 मिनट
12 मार्च 2022
3.

जहां चाह, वहां राह (३)

516 4.5 4 मिनट
14 मार्च 2022
4.

जहां चाह, वहां राह (४)

इस भाग को पढ़ने के लिए ऍप डाउनलोड करें
locked