pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी
Pratilipi Logo
ॐ मणि पद्मे हूँ
ॐ मणि पद्मे हूँ

इमारतों की गोद में सूरज किसी शिशु की भांति छिपा जा रहा था। उसके नारंगी प्रकाश से शहर की गलियां दीप्तिमान हो रही थीं। दूर गगन में पंछी चहचहाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का असफल प्रयास कर रहे थे, ...

16 मिनट
पढ़ने का समय
757+
लोगों ने पढ़ा
library लाइब्रेरी
download डाउनलोड करें

Chapters

1.

ॐ मणि पद्मे हूँ

280 5 4 मिनट
13 जनवरी 2025
2.

ॐ मणि पद्मे हूँ- 2

252 4.9 4 मिनट
14 जनवरी 2025
3.

ॐ मणि पद्में हूँ- 3

225 5 3 मिनट
15 जनवरी 2025