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लड़ाई( एक बेटी के फर्ज की)
लड़ाई( एक बेटी के फर्ज की)

लड़ाई( एक बेटी के फर्ज की)

शालू मैं ये रोज रोज की कीच कीच से थक चुका हूं , बंद करो ये सब मान क्यों नहीं लेती जो मम्मी बोल रही हैं , अब तो तुम्हारी दोनों बहनें अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं तुमने क्या जिंदगी भर का ठेका ले ...

4.8
(30)
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