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बालिका वधु
बालिका वधु

मैं तो आई थी बाबा तेरे अँगने की रौनक बढ़ाने मुझे क्या पता था मैं हूं सिर्फ एक पराई घर का कूड़ा।। यह कहकर रोज एहसास दिलाया आपने इस छोटी सी उम्र में गुड्डे  गुड़ियों की जगह।। थमा दी आपने मुझ पर ...

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बालिका वधु

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