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सुन्दर कविता
सुन्दर कविता

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो चट्टानों की छाती से दूध निकालो, है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो चढ़ तुँग शैल शिखरों पर सोम पियो रे योगियों नहीं विजयी के ...

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Chapters

1.

सुन्दर कविता

13 0 2 മിനിറ്റുകൾ
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