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शायद,,,, 💔
शायद,,,, 💔

शायद,,,, 💔

एक उम्मीद थी, कही आखरी सी, वो धुंधला गई शायद, जीने की एक वजह, पाई थी, या छीनी थी किस्मत से, एक बार फिर से खो गई शायद, पल पल हारते हुए, अपने बिखरे वजूद को, संभालने की नाकाम कोशिश भी, हार गई ...

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Chapters

1.

शायद,,,, 💔

61 5 1 मिनट
27 फ़रवरी 2022
2.

टिपिकल सोच औरत की एकाग्रता,,,,!!

58 5 1 मिनट
04 मार्च 2022
3.

सुन ....🖤

25 5 1 मिनट
07 मार्च 2022
4.

अधूरी ख्वाहिश,,,,,💔

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5.

दोस्ती 💕

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6.

औरत का श्रृंगार,,।

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