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सागर किनारे
सागर किनारे

सागर किनारे

चाँदनी रात थी उसकी याद मेरे साथ थी सामने था ठठाता सागर लहरों का नर्तन पानी की चिंघाड एक चट्टान से टिक कर बैठा हुआ था मैं देख रहा था समन्दर का विकराल रूप मुझे डर नहीं था सागर से प्यार है ...

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17 अप्रैल 2025
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