रासोलहवी शताब्दी का समय आ चुका था यह काल भारत के इतिहास में बडा ही उथल पुथल भरा था मुगल सत्ता उत्तर भाारत से मालवा बुरहानपुर तक अपना साम्राज्य बढा चुकी थी पर हिरदागढ राज्य गढा कंटगा यानि गढा मंडला गौड राज्य के आघीन था । हिरदागढ गढा मंडला राज्य से जुडा है गढा मंडला राज्यः- 14वीं शताब्दी की शुरुआत में योरदम नामक एक गोंड योद्धा ने गढ़ा मंडला में अपने मुख्यालय के साथ गोंड साम्राज्य की स्थापना की। गोंड वंश में मदन शाहए गोरखदासए अर्जुनदास और संग्राम शाह जैसे कई शक्तिशाली राजा थे। मालवा में मुगल आक्रमण के दौरान भोपाल राज्य के साथ क्षेत्र का एक बड़ा क्षेत्र गोंड साम्राज्य के कब्जे में था। इन प्रदेशों को चकलाओं के रूप में जाना जाता था जिनमें से चकला गिन्नौर 750 गांवों में से एक था। भोपाल इसका एक हिस्सा था। गोंड राजा निज़ाम शाह इस क्षेत्र का शासक था।गोंडवाना महान सम्राट संग्राम शाह मरावी लगातार 26 वर्षों तक महल से बाहर युद्ध करते हुए 52 गढ़ व 57परगनों की स्थापना की थी।उस समय दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोधी व महाराजा संग्राम शाह मरावी में इकरारनामा था कि.गोंडवाना की तरफ कभी भी आँख उठाकर भी ना देखनाएचूंकि गोंडवाना साम्राज्य उस समय विश्व में अजेयएसुदृढ़ और समृद्धिशाली था उन्हीं दिनों गोंडवाना साम्राज्य के समांतर दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश लोधियों को परास्त कर राजपूतों की मदद से हुमायूं पुनः दिल्ली सल्तनत में बैठाएथोड़े समय में ही अल्पवयस्क शहजादा अकबर को अनाथ कर स्वर्ग सिधार गया।ं अकबर की टेढी नजर मध्यप्रदेश के गोड साम्राज्य पर पड़ी जहाॅं उक रानी दुर्गावती राज कर रही थी उनके प्रतापी श्वसुर स्थित संग्रामशाह तालाब उन्ही के द्वारा बनवाया गया जिसके पास देवी मंदिर बना हुआ है इस राज्य के अंतर्ग त लगभग 51 गढ़ थे संग्रामशाह के बाद उनके पुत्र दलपतशाह गददी पर बैठै उनकी राजधानी गढ़ा कटंगा अब मंडला जिले में है परंतु दुर्भाग्य वश उनकी मृतयु शीघ्र हो गई तब उनकी युवा पत्नी रानी दुर्गावती ने शासन संभाला जब ये खबर दिल्ली के बादशाह अकबर को मिली तो उसने उन्हें एक कमजोर स्त्री समझ कर अच्छा अवसर जानकर आक्रमण करने का विचार बनाया।रानी दुर्गावती चंदेल राजा वीरभान शाह की पुत्री थी चंदेल राजाओ ने ही खजुराहो के मंदिर बनवाये है चंदेल वंश की यह कन्या युद्व में दक्ष थी उसने पंद्रहवीं शताब् दी के उत्रार्ध में राज किया रानी सुदृढ़ सेना बनाई उसकी सेना में 20000 घुडसवार और 1000 हाथी थे पैदल सेना थी इसी समय मालवा का राजा बाज बहादुर था उसकी बाज दृश्टि इस समय इस राज्य पर थी तो आसान जीत समझकर वह दुर्गावती के राज्य पर टूट पडा पर अचानक हुय इस आक्रमण से रानी घबराई नहीे ओर बाज बहादुर को हरा दिया जब बाजबहादुर की सेना डरकर भागने लगी तो रानी ने दमोह तक उसका पीछा किया। इधर मानिक पुर का गर्वनर ख्वाजा माजिद आसफशाह था रानी अभी राज्य के पुर्नगठन में लगी थी उसका एक मंत्री मात्र ब्राहम्ण और आधार कायस्थ को इस राज्य के अंतर्गत 70000 ग्राम थंे आसफशाह नं अकबर संे अनुमति लेकर चढाई कर दी रानी ने मुकाबला करने का निश्चय किया जबकि मंत्रियो की सलाह थी कि वे जंगलो में छुप जाये वह नरई के जंगलो में चली गई पर फिर लौटी और युद्व किया उसके गले में एक तीर लगने से े संग्रामपुर के युद्धभूमि में शत्रु सेना के सामने गोंडवाना सेना का संचालन स्वयं रानी दुर्गावती मरावी कर रही थी।दूसरे में आधार सिंह व स्वाभिमानीऋदुर्गावतीऋचंदेलऋवंशीऋपुत्रीऋकोऋइन परिस्थितियों की जानकारी थी।इसलिए उस समय के अजेय सुदृढ़ समृद्धिशालीगोंडवाना साम्राज्य के शूरवीर बलशाली युवराज राजा दलपतशाह मरावी के साथ सन् 1540 में धूमधाम से शादी रचाई थी।रानी दुर्गावती के इस निर्णय से चंदेल वंशी सरदार बदन सिंह और गिरधारी राजपूतएमहोबा के जमींदार जल भुन गये थे।उन्होंने गोंडवाना मश्रल के रसोईया से मिलकर षड्यंत्र करके महाराजा दलपत शाह मरावी के भोजन में जहर मिलवा दिया थाएजिससे धीरे धीरे छरू माह बाद उनका स्वर्गवास हो गया थाएविदुषी रानी और अखंड गोंडवाना साम्राज्य के लालच पर बदन सिंह चंदेल ने विवाह की कुत्सित इच्छा का जाहिर संदेश भेजा था।इस कृत्य के कारण बदन सिंह को बहुत अपमान सहना पड़ा और उसे जान बचाकर दिल्ली मुगल सल्तनत में शरण लेनी पड़ी।’महाराजा दलपत शाह मरावी की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात 7 वर्षीय युवराज नारायण शाह मरावी का राजतिलक किया गया।गोंडवाना की परगनों की स्थापना की थी।उस समय दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोधी व महाराजा संग्राम शाह मरावी में इकरारनामा था कि.गोंडवाना की तरफ कभी भी आँख उठाकर भी ना देखनाएचूंकि गोंडवाना साम्राज्य उस समय विश्व में अजेयएसुदृढ़ और समृद्धिशाली था उन्हीं दिनों गोंडवाना साम्राज्य के समांतर दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश लोधियों को परास्त कर राजपूतों की मदद से हुमायूं पुनः दिल्ली सल्तनत में बैठाएथोड़े समय में ही अल्पवयस्क शहजादा मरावी की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात 7 वर्षीय युवराज नारायण शाह मरावी का राजतिलक किया गया।गोंडवाना की महान रानी दुर्गावती मरावी ने ईण् 1549 से ईण् 24 जून 1564 तक पूरे पन्द्रह वर्षों तक गोंडवाना राज्य को कुशलतापूर्वक चलाया।कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया लिखता है कि.महारानी दुर्गावती गोंडवाना साम्राज्य के सम्राट संग्राम शाह मरावी के बाद महान रानी थी।उसने महाराजा संग्राम शाह का सोने के सिक्के को ही गोंडवाना राज मुद्रा के रूप में चलवाया था। ‘‘‘‘‘‘इतिहासकारऋअबुलऋफजलऋआईनेऋअकबरीऋफरिसता अकबरनामा में फारसी में लिखा है.महारानी दुर्गावती मरावी गोंडवाना साम्राज्य की अति वीर पराक्रमी विश्व की प्रथम वीरांगना बहादुर महिला पैदा हुई उसके समान न पहले कोई थीएन बाद में होगी। उसके पास एक लाख बीस हजार पैदल सेनाएबीस हजार घुड़सवार और तीन हजार हाथी थे।उसी प्रकार इतिहासकार स्मिथ लिखता है कि इस महान गोंडवाना राज्य की सुघड़ व्यवस्था को रानी दुर्गावती मरावी ने विश्व क्षितिज पर पहुंचाकर अमर कर दिया।हाथियों का राजा सफेद हाथी श
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