शहर से दूर एक छोटा सा क़स्बा, और उसका एक छोटा सा ट्रेन स्टेशन जहाँ हर रात बारह बजे आती थी ‘मुर्दों कि ट्रेन‘। कोई उस स्टेशन पर रात को जाने कि हिम्मत न करता, और अगर कोई गलती से चला जाता तो ‘मुर्दो कि ट्रेन’ के मुर्दे उसे भी चलते फिरते मुर्दे में बदल देते। उस भयावह स्टेशन पर सालों से हो रही एक के बाद एक रहस्यमय मौत के बाद कहानी कि नायिका दिया, जिसने भी किसी अपने को यही ‘मुर्दों की ट्रेन’ कि वजह से खोया है, निकल पड़ती है स्टेशन का रहस्य सुलझाने एक रोमांचक सफर पर! साथ में जुड़ता है जाबांज़ इन्स्पेक्टर विनय। पढ़िए भयावह मुर्दों के साथ उनकी दिलद्यड़क भिड़ंत....