वो बेख्याली में आगे बढ़ते जा रही थी उसे कुछ होश नहीं था आंखो से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे चेहरा रो रो कर लाल हो चुका था और बाल बेतरतीब से बिखरे हुए थे ...वो खुद में ही बडबडा रही थी ..में ...
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वो बेख्याली में आगे बढ़ते जा रही थी उसे कुछ होश नहीं था आंखो से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे चेहरा रो रो कर लाल हो चुका था और बाल बेतरतीब से बिखरे हुए थे ...वो खुद में ही बडबडा रही थी ..में ...
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