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मन मोरनी
मन मोरनी

सुनो! मैं जा रही हूँ। तुम अपना ध्यान रखना। घर का भी। मुझसे अब और नहीं होता। शरीर और मन दोनों की पीड़ाओं ने पहले ही अधमरा कर रखा था मुझे। उसपर यह तिरस्कार.... अब और सहा नहीं जाता मुझसे। मौत भी तो ...

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