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"मैं ज़िंदा हूँ"
"मैं ज़िंदा हूँ"

अध्याय 1: वो रात जब मैंने खुद से हार मान ली - नए रूप में --- "कुछ रातें हमें यह एहसास दिलाती हैं कि दिन कभी लौटकर नहीं आएगा। मेरी ज़िंदगी की एक ऐसी ही रात थी, जब मैंने मौत को अपने पास महसूस किया ...

13 मिनट
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Chapters

1.

अध्याय 1: वो रात जब मैंने खुद से हार मान ली - नए रूप में

15 0 3 मिनट
02 मई 2025
2.

अध्याय 2: खामोशी का बोझ – जब अंधेरे में एक छोटी सी उम्मीद जागी

9 0 3 मिनट
02 मई 2025
3.

अध्याय 3 — “जब सब कुछ बिखरने लगा... और मैं खुद को लिखने लगा”

7 0 2 मिनट
02 मई 2025
4.

अध्याय 4 मौन की मिट्टी से उगता एक बीज – जब आत्मा बोलने लगी

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5.

अध्याय 5: खामोशी का बोझ – जब कोई नहीं समझता (लिखना सिर्फ शब्द नहीं था – वो मेरी चीख थी, जो अब गूंजने लगी थी)

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