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लघुकथा संचय
लघुकथा संचय

आज सुबह अखवार पढ़ते-पढ़ते अचानक सुनीता जी बैचेनी से उठकर टहलने लगीं। मन में द्वंद चल रहा था "बहू की मनमानी बहुत हो चुकी, अक्सर मेरे बेटे से ही सुबह की चाय बनवाती है। अब समय है उसे सबक सिखाने का" ...

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