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खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई जरा सा समेटनी चाही 
हम से पहच बाजी कर गई 
खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई।।
सदियाँ बीत गई ताले की धूल न उतरी 
चाभी उसकी बस उससे
खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई जरा सा समेटनी चाही 
हम से पहच बाजी कर गई 
खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई।।
सदियाँ बीत गई ताले की धूल न उतरी 
चाभी उसकी बस उससे

खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई जरा सा समेटनी चाही हम से पहच बाजी कर गई खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई।। सदियाँ बीत गई ताले की धूल न उतरी चाभी उसकी बस उससे

खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई जरा सा समेटनी चाही हम से पहच बाजी कर गई खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई।। सदियाँ बीत गई ताले की धूल न उतरी चाभी उसकी बस उससे गुस्ताखी कर गई..✍️✍️ बन्द महलो मे एक तस्वीर ...

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1.

खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई जरा सा समेटनी चाही हम से पहच बाजी कर गई खिदमत हमारी गुस्ताखी कर गई।। सदियाँ बीत गई ताले की धूल न उतरी चाभी उसकी बस उससे

480 4.2 1 நிமிடம்
01 செப்டம்பர் 2021
2.

डायरी के पन्ने खोले तो उसमे फूल हजार निकले ।।

322 3 1 நிமிடம்
01 செப்டம்பர் 2021
3.

महल

269 4.6 1 நிமிடம்
01 செப்டம்பர் 2021
4.

एक राजा

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