pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी
Pratilipi Logo
कबीर प्रेम के दोहे
कबीर प्रेम के दोहे

कबीर प्रेम के दोहे

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं । प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ॥ प्रेम की गली बहुत ही संकरी है । इसमें दो लोग एक साथ नहीं समा सकते है अगर पास में अहंकार है तो प्रेम हो ही नही ...

4.9
(18)
2 मिनट
पढ़ने का समय
57+
लोगों ने पढ़ा
library लाइब्रेरी
download डाउनलोड करें

Chapters

1.

कबीर प्रेम के दोहे

57 4.9 2 मिनट
14 मई 2022