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जिन्नात का प्रतिशोध
जिन्नात का प्रतिशोध

जिन्नात का प्रतिशोध

रोज की तरह उस रात भी उषा का कमरा फूलों, इत्र और धूपबत्ती की मिली-जुली सुगंध से भर उठा। उस समय रात के दो बजे थे। मैं और अवधबिहारी शर्मा सॉझ से इसी समय की प्रतीक्षा में थे। सुगंध मिलते ही हम उषा के ...

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Chapters

1.

जिन्नात का प्रतिशोध

737 4.7 2 മിനിറ്റുകൾ
04 നവംബര്‍ 2024
2.

भाग 02

642 4.7 4 മിനിറ്റുകൾ
05 നവംബര്‍ 2024
3.

भाग 03

630 4.9 3 മിനിറ്റുകൾ
05 നവംബര്‍ 2024
4.

भाग 04

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5.

भाग 05

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6.

भाग 06

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7.

भाग 07

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8.

भाग 08

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