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झूठा आशिक
झूठा आशिक

रजनी आज अचानक बरस रहे बादलों के बीच गरजती बिजली को देखकर वर्षों पुरानी यादों में खो गयी थी। "रूपसी तेरे घन केश पास, नैनों में सहस्र बिजली सी धार, होठों पर खिलते हजारों गुलाब" "चलो झूठे" कहकर जब ...

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