pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी
Pratilipi Logo
झूठा आशिक
झूठा आशिक

रजनी आज अचानक बरस रहे बादलों के बीच गरजती बिजली को देखकर वर्षों पुरानी यादों में खो गयी थी। "रूपसी तेरे घन केश पास, नैनों में सहस्र बिजली सी धार, होठों पर खिलते हजारों गुलाब" "चलो झूठे" कहकर जब ...

4.6
(127)
11 मिनट
पढ़ने का समय
8541+
लोगों ने पढ़ा
library लाइब्रेरी
download डाउनलोड करें

Chapters

1.

झूठा आशिक

2K+ 4.4 1 मिनट
09 अगस्त 2021
2.

गुड़ खाए गुलगुले से परहेज

1K+ 4.7 1 मिनट
09 अगस्त 2021
3.

पर्दे की ओट से

1K+ 4.8 3 मिनट
16 अक्टूबर 2021
4.

सैंया बिना ससुराल कैसी

इस भाग को पढ़ने के लिए ऍप डाउनलोड करें
locked
5.

मां की सीख

इस भाग को पढ़ने के लिए ऍप डाउनलोड करें
locked