विवेक बिस्तर पर ही लेटे- लेटे आंखे बंद करके मुस्कुरा रहा था । तभी धीरे से अवनी दरवाजा खोलती है और विवेक को बोलती है कि ... ओह आज तो विवेक साहब सुबह- सुबह ही मुस्कुरा रहे है। क्या बात है जनाब? ...
अपने दोस्तों के साथ साझा करें:
5543017
84 ঘণ্টা
भाग
विवेक बिस्तर पर ही लेटे- लेटे आंखे बंद करके मुस्कुरा रहा था । तभी धीरे से अवनी दरवाजा खोलती है और विवेक को बोलती है कि ... ओह आज तो विवेक साहब सुबह- सुबह ही मुस्कुरा रहे है। क्या बात है जनाब? ...
अपने दोस्तों के साथ साझा करें:
आप केवल प्रतिलिपि ऐप पर कहानियाँ डाउनलोड कर सकते हैं