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ईमानदार आदमी की प्रदर्शनी
ईमानदार आदमी की प्रदर्शनी

ईमानदार आदमी की प्रदर्शनी

तुलसीदास ने लिखा है जब-जब होई धरम की हानि, बाढ़ही असुर-अधम अभिमानी,तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा, हरही कृपा विधि सज्जन पीड़ा। इसमें यह नहींकहा गया है कि धरम की हानि होने पर किसी जाति विशेेष की पीड़ा ...

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ईमानदार आदमी की प्रदर्शनी-ईमानदार आदमी की प्रदर्शनी

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