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हृदय की दावाग्नि
हृदय की दावाग्नि

हृदय की दावाग्नि

ओ रे सजना! तुम बार-बार मेरे मौन उर को रुलाते हो मेरी आलोचना कर के मुझे प्रतिदिन प्रताड़ित करते हो मैं फिर भी तुम को क्षमा कर देती हूँ मेरे अंतर मन की पीर को सुबह की चाय की भांति पी लेती हूँ ...

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हृदय की दावाग्नि

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02 नवम्बर 2020