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एक शाम पतझड़ की
एक शाम पतझड़ की

वो एक पतझड़ की शाम थी, हवाएं खुश्क़ और बेदर्द हो रही थी। उनके थपेड़ो से साखों से पीले पत्ते खड़खड़ाते हुए बिखर रहे थे, ऐसे सर्द और उजड़े मौसम मे मेरा जन्म हुआ। मेरे जन्म पर मेरी माँ को छोड़ कर कोई खुश ...

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Chapters

1.

एक शाम पतझड़ की - भूमिका

489 4.9 3 मिनट
17 सितम्बर 2022
2.

एक शाम पतझड़ की - किनारा

360 4.9 4 मिनट
20 सितम्बर 2022
3.

एक शाम पतझड़ की -किनारा

324 4.9 5 मिनट
23 सितम्बर 2022
4.

एक शाम पतझड़ की - किनारा

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5.

एक शाम पतझड़ की - किनारा

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6.

एक शाम पतझड़ की - किनारा

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7.

एक शाम पतझड़ की- किनारा

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8.

एक शाम पतझड़ की - किनारा

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9.

एक शाम पतझड़ की -किनारा

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