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छोटी कविताएं.....
छोटी कविताएं.....

....वो जब घर से निकली उसे न थी कुछ जमाने की भनक आँखों में थे कुछ सपने ,और हँसी में थी उसकी, एक खनक दिल में जज्बा था ,उसके कुछ बन कर दिखाने का चेहरे पर कोई खौफ न था इस जालिम जमाने का चाल थी ...

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