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चार लाइन
चार लाइन

शाम ढलती है जब तो हांथ में पैमाना होता है, पर मेरे ग़मो में अब तू शामिल नहीं होता भूले नहीं है तुझे पर अब कुछ खास याद नहीं है, एक ही ग़म पर रोने वाले का जमाना नहीं होता। " श्रुति " ये है मेरे दिमाग ...

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Chapters

1.

चार लाइन

11 5 1 मिनट
22 मार्च 2025
2.

फिर से लगा बैठे

10 5 1 मिनट
23 मार्च 2025
3.

और प्यार हो जाए

9 5 1 मिनट
25 मार्च 2025
4.

ना साहिल मिला करते थे

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5.

नहीं जानते हैं

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6.

बताते ही क्या

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7.

दिल फिसल जाए

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8.

बाकी नहीं

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