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बादल रुई के फाये
बादल रुई के फाये

बादल रुई के फाये

बादल रुई के फाये नील गगन पर बिछी चादर, रुई के फाये कोमल-कोमल, सूरज झाँके शर्माता सा, सोने की किरणें घोल-घोल। हवा चले तो तैरें बादल, नदी सी लहरें बन जाएँ, नीलम नभ के आँगन में ये, सपनों की दुनिया ...

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Chapters

1.

बादल रुई के फाये

0 0 1 मिनट
04 फ़रवरी 2025
2.

रुई के बादल, सपनों के जाल

0 0 1 मिनट
04 फ़रवरी 2025