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अकेलापन (कविता)BY नम्रता उर्फ़ 𝕱𝖗𝖊𝖊𝖉𝖔2𝕽𝖚𝕳𝖎𝖓𝖉𝖚𝖘𝖙𝖆𝖓𝖎
अकेलापन (कविता)BY नम्रता उर्फ़ 𝕱𝖗𝖊𝖊𝖉𝖔2𝕽𝖚𝕳𝖎𝖓𝖉𝖚𝖘𝖙𝖆𝖓𝖎

अकेलापन (कविता)BY नम्रता उर्फ़ 𝕱𝖗𝖊𝖊𝖉𝖔2𝕽𝖚𝕳𝖎𝖓𝖉𝖚𝖘𝖙𝖆𝖓𝖎

ये कविता एक भाव: है आज के समय का सतय है जो हर व्यक्ति अपने भीतर मेहसूस करता है। कितनी अजीब बात है न हम इन्सान खुद ही खुद में रहकर साथ की कामना अधुरी मेहसूस करते है, खैर मेरी बातों का तोह अंत नही है क्यूंकि मुझे कोई सुनें ये मुझे बोहोत पसंद है हम सभी को अच्छा लगता है इसलिए मैं खुद्का आईना आदरयशहसनॐम:रता अपनि बाते बांटने आई हूँ। राधेराधे 🙏🖋𝕱𝖗𝖊𝖊𝖉𝖔2𝕽𝖚𝕳𝖎𝖓𝖉𝖚𝖘𝖙𝖆𝖓𝖎

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1.

अकेलापन (कविता)BY नम्रता उर्फ़ 𝕱𝖗𝖊𝖊𝖉𝖔2𝕽𝖚𝕳𝖎𝖓𝖉𝖚𝖘𝖙𝖆𝖓𝖎

7 0 1 मिनट
25 अगस्त 2022