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यह जोर तुम सुहागरात में लगाना

4.5
859

दक्ष उस कमरे से चला जाता है। ओर एक बार फिर पूरे कमरे में अंधेरा छा जाता है। मिश्री जोर जोर से रोने लगती है। चीखने लगती है।पर उसका दर्द समझने वाला यहां कोई नहीं था। मिश्री रो रो कर बेहोश हो जाती है। ...

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हीर नकुल के बाहों में
हीर नकुल के बाहों में
Saraswati Kumari
4.7
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Saraswati Kumari

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    01 जुलाई 2024
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    05 जुलाई 2024
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