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वो कौन थी

4.4
1904

रात काफ़ी हो चुकी थी ...। रोहित फोन पर बात करते करते काफी आगे आ गया था और जब उसने देखा तो यू टर्न काफी आगे था ...। तब तक रागिनी का फोन आ गया तुम तो एक घंटा पहले आने वाले थे अाए क्यूं नहीं ...। ...

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नदी किनारे वाला चतरा गांव
नदी किनारे वाला चतरा गांव
Sadhana Bhushan
4.3
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लेखक के बारे में
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Sadhana Bhushan

लिखती वही हूं जो आस पास दिखता है । लोगों के दर्दों को देखकर मेरा मन बहुत विचलित सा हो जाता है । बहुत तकलीफ़ सी होती है जब मैं लोगों की मदद नही कर पाती असहाय सा महसूस करती हूं फिर जब कुछ नही समझ आता तो उन्ही बातों को शब्दों में ढाल देती हूं। इसलिए जब लोग पढ़ते है तो मेरी लिखें शब्दों को खुद से जोड़ पाते हैं। समय के अभाव में ज्यादा लिख नही पाती पर बहुत कुछ कहना है । समय मिलने पर सभी दर्दों को कलम से पीरो दूंगी।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satish Kumar "अश्क"
    18 జులై 2020
    आपकी रचना ने तो कमाल कर दिया...आपकी रचना बेहद ही खूबसूरत है... आपकी रचना मेरे मन को मोह लिया है... मन तो करता है बार बार आपकी रचना को पढू... बहुत ही बढिया लिखा आपने... धन्यवाद... 🙏🙏🙏🙏
  • author
    Gajanan Pandey
    20 జులై 2020
    साधना जी, कहानी काफी रहस्यपूर्ण और रोमांचक है । आपने सरल भाषा में, कहानी के विषय को बडे रोचक तरीके से पाठकों के सामने रखा है। बधाइयाँ।
  • author
    Deepak Kumar Prasad
    27 జనవరి 2021
    अति उतम कहनी थी दीदी हमको lag कि सही मे भूत कि कहनी है पर पूरा कहनी pdne पर lag कहानी में भूत नहीं सोची समझी साजिश है
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    Satish Kumar "अश्क"
    18 జులై 2020
    आपकी रचना ने तो कमाल कर दिया...आपकी रचना बेहद ही खूबसूरत है... आपकी रचना मेरे मन को मोह लिया है... मन तो करता है बार बार आपकी रचना को पढू... बहुत ही बढिया लिखा आपने... धन्यवाद... 🙏🙏🙏🙏
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    Gajanan Pandey
    20 జులై 2020
    साधना जी, कहानी काफी रहस्यपूर्ण और रोमांचक है । आपने सरल भाषा में, कहानी के विषय को बडे रोचक तरीके से पाठकों के सामने रखा है। बधाइयाँ।
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    Deepak Kumar Prasad
    27 జనవరి 2021
    अति उतम कहनी थी दीदी हमको lag कि सही मे भूत कि कहनी है पर पूरा कहनी pdne पर lag कहानी में भूत नहीं सोची समझी साजिश है