लिखती वही हूं जो आस पास दिखता है । लोगों के दर्दों को देखकर मेरा मन बहुत विचलित सा हो जाता है ।
बहुत तकलीफ़ सी होती है जब मैं लोगों की मदद नही कर पाती असहाय सा महसूस करती हूं फिर जब कुछ नही समझ आता तो उन्ही बातों को शब्दों में ढाल देती हूं।
इसलिए जब लोग पढ़ते है तो मेरी लिखें शब्दों को खुद से जोड़ पाते हैं।
समय के अभाव में ज्यादा लिख नही पाती पर बहुत कुछ कहना है । समय मिलने पर सभी दर्दों को कलम से पीरो दूंगी।
रिपोर्ट की समस्या
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