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वो बूंद सी..…...... (भाग-२)

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वो बूंद सी ............ (भाग-२ )         थोड़ी देर बाद फ्रेस हो कर गेस्ट हाउस से बाहर निकल आया , काफी देर सामने सड़क किनारे आहिस्ते चलते चलते कुछ दूर जा खड़ा हो गया , चारों ओर देखने लगा शायद पहचानने ...

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वो बूंद सी ........( भाग -४ )
पुस्तक का अगला भाग यहाँ पढ़ें वो बूंद सी ........( भाग -४ )
अशोक कुमार भट्ट अंशु "अंशु"
4.7

मैं ढूंढने लगा मन भी न न जाने कितनी दूर ले जाता है , चाहे आगे या पीछे अंतहीन सफ़र में ........ आज अजीब सी खामोशी थी झील और मेरे बीच न जाने कब तक उसको यूँ निहारते ही रहा , अचानक से मेरे मुह से निकला ...

लेखक के बारे में

" जब शब्द भिगते हैं मेरे तब वो कहानी होती है ....." "कहानीयां जो हमारे आसपास चलतीं हैं कहानीयां जो आप के संग हो गुजरतीं हैं......" "कहानियां जो आपको अपनी सी लगतीं हैं तो आइए इन कहानियों के संग सफ़र पे चलते हैं ...." बस ऐसा ही कुछ आपके समक्ष रख पाने का एक प्रयास है ..... " मैं प्रकृति प्रतिपल स्पंदित हूँ " जऱा शौकिया लेखन करता हूँ खुद को बस अजमाता हुआ पाता हूँ, बस एक गुज़ारिश है आप से दिल से न लेना मै क्या लिख जाता हूँ ........#अंशु" " तुम मृगवन सुन्दरी....." मैं तुम्हारा क्षेत्रपाल....." कभी कभी कुछ ऐसे जज़्बात जागते है ............ जेहन में की ........... #जिस्म_से_रूह_तलक_पाकीज़गी ...... उतर आती है .......... फ़टी चादरें सीता हूँ ..... उन #दरख्तों के सायों में .... #अंशु

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Iqbal Rengrag "Iqbal Rengrag"
    09 फ़रवरी 2021
    शानदार अभिव्यक्ति है आपकी ये लाजवाब हिंदी और उर्दू की पकड़ भी शानदार है आपकी पढकर मन में उत्सुकता बढ गई आगे पढने की हृदय आंदोलित हो उठा है अब आगे पढने को
  • author
    Suresh Kumar
    08 मई 2024
    💜आपकी रचना वो बूंद सी, दूसरी बार पढ रहा हूं। पहले पढीथी तो अंत अधूरा सा लगा ।शायद अब कुछ पूरा सा लगे,
  • author
    Meenu Goel
    06 सितम्बर 2021
    dil me to hamesha ek bachha chup kar baitha hota ha jo hame udne k liye kahta ha bachpan or jawani kabhi nahi bhulti
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    Iqbal Rengrag "Iqbal Rengrag"
    09 फ़रवरी 2021
    शानदार अभिव्यक्ति है आपकी ये लाजवाब हिंदी और उर्दू की पकड़ भी शानदार है आपकी पढकर मन में उत्सुकता बढ गई आगे पढने की हृदय आंदोलित हो उठा है अब आगे पढने को
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    Suresh Kumar
    08 मई 2024
    💜आपकी रचना वो बूंद सी, दूसरी बार पढ रहा हूं। पहले पढीथी तो अंत अधूरा सा लगा ।शायद अब कुछ पूरा सा लगे,
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    Meenu Goel
    06 सितम्बर 2021
    dil me to hamesha ek bachha chup kar baitha hota ha jo hame udne k liye kahta ha bachpan or jawani kabhi nahi bhulti