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उर्वशी-2
जयशंकर प्रसाद
4.7
उद्यान-देश की रमणीक शैल-माला, आय्र्यावर्त की उत्तर-सीमा के फल-फूल से लदे हुए कानन की शोभा, किस नेत्र को चकित नहीं करती। मृगयाविहारी युवक राजा पुरुरवा मुग्ध होकर एक शिलाखण्ड पर बैठे हुए वनश्री देख रहे ...
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