तृतीय अध्याय : कर्मयोग : ============================== अर्जुन- "हे कृष्ण!आपकी बातों को सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि ज्ञान कर्म से अधिक महत्वपूर्ण हैं परंतु आप मुझे सन्यासी बनने की जगह युध्द करने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। आप मुझे यह बताइये कि मैं ज्ञानमार्ग पर चलकर सन्यासी बनूं या कर्ममार्ग पर चलकर युध्द करूं?" 🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼 श्री कृष्ण- "हे पार्थ! इस संसार में मैंने दो योग बनाए हैं प्रथम ज्ञान योग तथा द्वितीय कर्मयोग। तुम मनुष्य ...
रिपोर्ट की समस्या
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