मैं नहीं जानती, कि मैं एक लेखिका हूँ या नहीं लेकिन हाँ, साहित्य सर्जक हूँ और आशावादी भी। अपनी आँखों देख, भावना के वेग में बह, कल्पना की पीठ पर उड़ान भर, मूर्तिकार की तरह नए बिंब बना, कागज़ पर उतार लोगों के सामने परोसना, अपना काम समझती हूँ।
अगर बाहर आने के लिए छटपटाते शब्दों को न निकलने दिया तो विलीन होने में देर नहीं लगती है।
रिपोर्ट की समस्या
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