भाग - 1 प्रमिलाजी अचेत होके पड़ी थीं। बड़ी बेटी प्रभा अभी ही कितने प्रयासों से उठा के गयी थी, लेकिन प्रमिलाजी को होश न था। होश हो भी तो कैसे... अपने कलेजे के टुकड़े को विदा जो किया था उन्होंने... ...
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स्नेह-बंधन
मनाली मिश्रा "मन"
4.6
भाग- 2 रात्रि भोजन के बाद ऋषिकेशजी थोड़ा घूमने निकल गए। तबतक प्रमिलाजी अपनी रसोई समेटने लगीं, लेकिन एक पल भी सुधा का ख्याल दिमाग से उतर नहीं रह था। सुधा प्रमिलाजी की छोटी बहन थी। जब सुधा की शादी हुई ...
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अब तक पढ़ा है और सिर्फ पढ़ा है, लेकिन इस मंच ने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया। और अभी लिखना शुरू ही किया है, देखिए कहां तक जा पाती हूं।
"विचारों को शब्द मिले,
आशाओं को पंख,
धाराओं को दिशा मिली,
तृष्णा को तृप्ति मिली,
और मुझे मिला ये मंच"
🙏🙏🙏
सारांश
अब तक पढ़ा है और सिर्फ पढ़ा है, लेकिन इस मंच ने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया। और अभी लिखना शुरू ही किया है, देखिए कहां तक जा पाती हूं।
"विचारों को शब्द मिले,
आशाओं को पंख,
धाराओं को दिशा मिली,
तृष्णा को तृप्ति मिली,
और मुझे मिला ये मंच"
🙏🙏🙏
रिपोर्ट की समस्या
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