बड़ी हवेली आज भी उसी ठसक के साथ खड़ी थी,सँगीत की लहरी आज भी ऊपर वाले कमरे के झरोखों से बाहर की ओर भटकी भटकी गूँजती। छत के कँगूरों में रोज़ कभी चूनर लटकी मिलती,तो कभी ग़ज़रा मगर बड़ी हवेलियों के सीने ...
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श्राप-भाग 2
Sumitaa Sharma
4.9
उधर हवेली में चन्दा के स्वागत की तैयारियां चल रहीं थीं,दहेज में आये खूबसूरत पलँग को रेशमी चादर बिछाकर हवेली के साथ साथ उस पूरे कमरे को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था। महिलाएं घर में महफ़िल जमाये ...
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