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प्रणाम सर...

4.8
730
प्रेरकव्यवहारिक

आज कल के ऑफिस में चल रहे माहौल को बयां करती एक छोटी सी कोशिश । कैसे चापलूसी कर बुरे लोग अफसरों के करीब हो जाते हैं और सीधे साधे लोग उनकी चापलूसी का खामियाजा भुगतते हैं।

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थरथराते बेसहारा हाथ
थरथराते बेसहारा हाथ
JP NARAYAN Bharti "जय"
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लेखक के बारे में
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JP NARAYAN Bharti

जिंदगी की व्यस्तता के बीच मेरे वो सपने जिन्हें मैं पूरा नहीं कर पाया । स्कूल के जमाने से लिखता आ रहा हूं । मगर सफलता पाने के पीछे भागते भागते अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाया था । उसे पूरा अब करूंगा ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mukesh Ram
    28 जून 2019
    आज के दफ़्तरों के माहौल को चरित्रार्थ करता है आपका ये लेख।
  • author
    INDU PRASAD
    15 जुलाई 2019
    जीवंत चित्रण
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    Mukesh Ram
    28 जून 2019
    आज के दफ़्तरों के माहौल को चरित्रार्थ करता है आपका ये लेख।
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    INDU PRASAD
    15 जुलाई 2019
    जीवंत चित्रण