परिणय यह परिणय की पावन बेला.. दो प्राणों का सुखद मिलन.. ये हाथों के कंगन.. बंदनवार और यह प्रणय बंधन.. कितना प्यारा लगता है.. गीतों से भरा हुआ यह घर आँगन.. शुभ मुहूर्त के भाव.. कर रहे ज्यों मंगल ...
कान्हा ने प्रकृति को अनगिनत अहसासों से सजाया हैं..
अद्भुत हैं वो रंगरेज जिसने इन इंद्रधनुषी रंगो को बनाया हैं...
कोशिश तो कर रही हूं अहसासों को..
जज्बातों को..अल्फाज़ो में पिरोने की..
पर कहाँ मेरी लेखनी में इतना हुनर...
जो कान्हा की कूंची का वर्णन कर पाये...💕
सारांश
कान्हा ने प्रकृति को अनगिनत अहसासों से सजाया हैं..
अद्भुत हैं वो रंगरेज जिसने इन इंद्रधनुषी रंगो को बनाया हैं...
कोशिश तो कर रही हूं अहसासों को..
जज्बातों को..अल्फाज़ो में पिरोने की..
पर कहाँ मेरी लेखनी में इतना हुनर...
जो कान्हा की कूंची का वर्णन कर पाये...💕
रिपोर्ट की समस्या
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