आज वो बहुत खुश था। उसे वो मुकाम मिल गया था जिसकी ख्वाहिश उसे सालों से थी। इतनी खुशी के बाद भी, कुछ तो था उसके भीतर जो उसके मन को कचोट सा रहा था। आज सुबह जब उसने अपने ऑफिस फोऩ किया था छुट्टी के ...
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बीस का नोट (पहली कहानी -२ )
अखिलेश अवस्थी "अंकुर"
3.7
“अरे उठ ना भाई, क्या कॉलेज के पहले दिन ही लेट होगा क्या?”, रवि ने अखिल को झिंझोड़ते हुए कहा था। बॉयज हॉस्टल २ के कमरा नंबर ४६ में उसके साथ रहने वाला रवि अखिल की ही ब्रांच का था। उसे पता नहीं क्यों ...
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