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*नग्न होती नारी.. और सभ्यता

4.8
311

*नग्न होती नारी.. नग्न होती सभ्यता* सन 1980 तक लड़कियाँ कालेज में साड़ी पहनती थी या फिर सलवार सूट। इसके बाद साड़ी पूरी तरह गायब हुई और सलवार सूट के साथ जीन्स आ गया। 2005 के बाद सलवार सूट लगभग ...

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नारी प्रेम
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Ashok Kumar Pal
5

कृपया संकीर्ण मानसिकता के लोग इसे न पढ़ें। यह एक अलग तरह की विचारधारा है। एक शादी_शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है...उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है....तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो ...

लेखक के बारे में
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Ashok Kumar Pal

*जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे बोल, तथा हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं |*

समीक्षा
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  • author
    Bhumi Shaw
    22 जनवरी 2022
    तर्क देना सबका हक होता है । इसलिए मैं भी इस बारे में अपने विचार रखने चाहूंगी। ऐसा नहीं है कि विदेशी महिलाएं भारतीय पहनावे से आकर्षित नहीं होती। कइयों को सारी पहनने का सोख होता है। ज्यादातर विदेशी कपड़े पहनने वाली लड़कियों उन कपड़ों में सहज होती हैं। जो सहज नही होती, उन्हें जबरदस्ती सिर्फ दिखावे के लिए ऐसा करना छोड़ देना चाहिए। क्योंकि आकर्षक तो हम अपने देशी कपड़ों में भी लग सकते है। मैं खुद भी जींस टॉप या सलवार में ही सहज होती हूं। सारी तो मैं नही पहनती। उसके लिए अभी छोटी हूं (12th कक्षा)। मैं शॉर्ट पैंट्स नहीं पहनती। लेकिन इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि मैं शॉर्ट्स पहनने वाली लड़कियों का सम्मान नही करती। वो तो उनकी अपनी पसंद है। किसी का सम्मान करना या ना करना उसके व्यवहार और उनकी सोच पर निर्भर करता है। पुरषों के पहनावे में ज्यादा फर्क इसलिए नही दिखता क्योंकि उनके दोनो ही तरह के पहनावे , चाहे वो ढके हुए हो (धोती - कुर्ता ) या फिर पारदर्शित (बनियान - लूंगी) , समाज में पहले से ही सामान्य/स्वीकार्य माने जाते है। वैसे देखा जाए तो उनके भी पहनावे में थोड़ा फर्क आया है , आजकल अधिकतर पुरुष आपको शर्ट और जींस में ही दिखते है। जींस टॉप/शॉर्ट्स पहनने वाली लड़कियों को ''बेशर्म '' कहना उतना ही गलत है जितना की किसी सारी पहनी लड़की को ''बहनजी टाईप '' का टैग देना है। जरूरी नहीं की सारी पहनने वाली लड़कियां ही अपने देश की संस्कृति का सम्मान करती हो। कई बार उनका व्यवहार भी असहनीय होता है/सोच छोटी होती है। कपड़ों से उनके देश के प्रति प्यार को भी नही जज किया जा सकता। जींस टॉप में भी वे बड़ो/देश का सम्मान एवम भगवान की अराधना का कर सकती है। अंत।।।।।।।।।
  • author
    25 जनवरी 2022
    जहां तक बात पहनावे की है साड़ी हो या सूट या जींस अंग प्रदर्शन कही तक भी सही नहीं है ।साड़ी में भी आजकल कमर और पेट पूरा दिखता है जींस टॉप बेहतरीन तरीके से पहने जाएं या सूट सलवार या कोई भी और बना हुआ वह हमेशा अच्छा लगता है जिसमें सहज हो अपने शरीर अनुसार कपड़ा पहनना चाहिए जैसे सहज महसूस हो उस प्रकार पहनना चाहिए ना कि अंग प्रदर्शन के लिए या किसी के दिखावे के लिए। इतनी बार तो पुरुष भी अच्छे नहीं लगते हैं टाइट टाइट जींस पहन के चलते हैं ।तो वह भी फैशन की दौड़ में शामिल हैं ऐसे हैं जो रहते हैं लेकिन फैशन जरूरी है आजकल कंपनियों में सबको फॉर्मल पहनने जरूरी है जिसमें लेडीस के लिए टॉप पेन्ट और कुर्ता सलवार और साड़ी आते हैं जब वर्किंग वूमेन होती है तो अपनी सहजता के अनुसार वस्त्र धारण करती है ।ना की किसी अंग प्रदर्शन के कारण यह तो सिर्फ अपनी-अपनी सोचने का तरीका है ।कि हम फैशन की दौड़ में शामिल है मेरी सोच यही कहती है
  • author
    Anita Yadav
    26 जनवरी 2022
    बिलकुल सही और सटीक बात कही है आपने👌👏👌👏
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    Bhumi Shaw
    22 जनवरी 2022
    तर्क देना सबका हक होता है । इसलिए मैं भी इस बारे में अपने विचार रखने चाहूंगी। ऐसा नहीं है कि विदेशी महिलाएं भारतीय पहनावे से आकर्षित नहीं होती। कइयों को सारी पहनने का सोख होता है। ज्यादातर विदेशी कपड़े पहनने वाली लड़कियों उन कपड़ों में सहज होती हैं। जो सहज नही होती, उन्हें जबरदस्ती सिर्फ दिखावे के लिए ऐसा करना छोड़ देना चाहिए। क्योंकि आकर्षक तो हम अपने देशी कपड़ों में भी लग सकते है। मैं खुद भी जींस टॉप या सलवार में ही सहज होती हूं। सारी तो मैं नही पहनती। उसके लिए अभी छोटी हूं (12th कक्षा)। मैं शॉर्ट पैंट्स नहीं पहनती। लेकिन इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि मैं शॉर्ट्स पहनने वाली लड़कियों का सम्मान नही करती। वो तो उनकी अपनी पसंद है। किसी का सम्मान करना या ना करना उसके व्यवहार और उनकी सोच पर निर्भर करता है। पुरषों के पहनावे में ज्यादा फर्क इसलिए नही दिखता क्योंकि उनके दोनो ही तरह के पहनावे , चाहे वो ढके हुए हो (धोती - कुर्ता ) या फिर पारदर्शित (बनियान - लूंगी) , समाज में पहले से ही सामान्य/स्वीकार्य माने जाते है। वैसे देखा जाए तो उनके भी पहनावे में थोड़ा फर्क आया है , आजकल अधिकतर पुरुष आपको शर्ट और जींस में ही दिखते है। जींस टॉप/शॉर्ट्स पहनने वाली लड़कियों को ''बेशर्म '' कहना उतना ही गलत है जितना की किसी सारी पहनी लड़की को ''बहनजी टाईप '' का टैग देना है। जरूरी नहीं की सारी पहनने वाली लड़कियां ही अपने देश की संस्कृति का सम्मान करती हो। कई बार उनका व्यवहार भी असहनीय होता है/सोच छोटी होती है। कपड़ों से उनके देश के प्रति प्यार को भी नही जज किया जा सकता। जींस टॉप में भी वे बड़ो/देश का सम्मान एवम भगवान की अराधना का कर सकती है। अंत।।।।।।।।।
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    25 जनवरी 2022
    जहां तक बात पहनावे की है साड़ी हो या सूट या जींस अंग प्रदर्शन कही तक भी सही नहीं है ।साड़ी में भी आजकल कमर और पेट पूरा दिखता है जींस टॉप बेहतरीन तरीके से पहने जाएं या सूट सलवार या कोई भी और बना हुआ वह हमेशा अच्छा लगता है जिसमें सहज हो अपने शरीर अनुसार कपड़ा पहनना चाहिए जैसे सहज महसूस हो उस प्रकार पहनना चाहिए ना कि अंग प्रदर्शन के लिए या किसी के दिखावे के लिए। इतनी बार तो पुरुष भी अच्छे नहीं लगते हैं टाइट टाइट जींस पहन के चलते हैं ।तो वह भी फैशन की दौड़ में शामिल हैं ऐसे हैं जो रहते हैं लेकिन फैशन जरूरी है आजकल कंपनियों में सबको फॉर्मल पहनने जरूरी है जिसमें लेडीस के लिए टॉप पेन्ट और कुर्ता सलवार और साड़ी आते हैं जब वर्किंग वूमेन होती है तो अपनी सहजता के अनुसार वस्त्र धारण करती है ।ना की किसी अंग प्रदर्शन के कारण यह तो सिर्फ अपनी-अपनी सोचने का तरीका है ।कि हम फैशन की दौड़ में शामिल है मेरी सोच यही कहती है
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    Anita Yadav
    26 जनवरी 2022
    बिलकुल सही और सटीक बात कही है आपने👌👏👌👏