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●मुआवजा

4.5
6257

● मुआवजा आज वापिस पहलाद का छोरा ऑफिस के चक्कर काट आया है। हुकुम ने कहा है, मुआवजा जल्द ही मिल जाएगा। *** कुछ बरस पहले तक सब कुछ ठीक था। दो बीघा जमीन, पच्चीस के करीब भेड़ों का रेवड, तीन मरियल ...

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फागण की मनहूस बारिश
पुस्तक का अगला भाग यहाँ पढ़ें फागण की मनहूस बारिश
विनोद कुमार दवे
4.4

★ फागण की मनहूस बारिश  गौरा की  ख़ुशी का कोई ठिकाना न था। लहलहाती हुई सरसों व गेहूं की फसल उसके लिए स्वर्णाभूषण से कम न थी। इस बार की होली बेहतर होगी, पिछली दफ़ा का तो कर्ज़ भी न उतर ...

लेखक के बारे में

एक कहानी संग्रह 'अंतहीन सफ़र पर' इंक पब्लिकेशन से तथा एक कविता संग्रह ’अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशितl पत्र पत्रिकाओं यथा, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, कादम्बिनी , बाल भास्कर आदि में रचनाएं प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Damini
    30 ऑगस्ट 2019
    किसानों की दयनीय स्थिति का सटीक चित्रण किया है आपने। आजादी के इतने सालों के बाद भी किसानों की हालत में सुधार नहीं हुआ है। देख कर, सुन कर बहुत दुख होता है। आपने सही कहा है माल्या जैसे हजारों करोड़ों रुपये लेकर भाग जाते हैं और एक गरीब किसान दस बीस हजार रुपये के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देता है। आपकी कहानी को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसके लिए बहुत बहुत बधाई।
  • author
    विजय सिंह "बैस"
    25 ऑगस्ट 2019
    गांव के गरीब मजदूर और किसानों की दुर्गति को दर्शाती आपकी रचना दिल को छू गयी । अंग्रेजों के कुशासन से मुक्ति मिल गई लेकिन अपने ही लोग परजीवी शोषक बन गए हैं !
  • author
    25 ऑगस्ट 2019
    behad hi lajawab...dil ko chu gai aapki rachana..nice creation 👌👌👌💐
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    Damini
    30 ऑगस्ट 2019
    किसानों की दयनीय स्थिति का सटीक चित्रण किया है आपने। आजादी के इतने सालों के बाद भी किसानों की हालत में सुधार नहीं हुआ है। देख कर, सुन कर बहुत दुख होता है। आपने सही कहा है माल्या जैसे हजारों करोड़ों रुपये लेकर भाग जाते हैं और एक गरीब किसान दस बीस हजार रुपये के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देता है। आपकी कहानी को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसके लिए बहुत बहुत बधाई।
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    विजय सिंह "बैस"
    25 ऑगस्ट 2019
    गांव के गरीब मजदूर और किसानों की दुर्गति को दर्शाती आपकी रचना दिल को छू गयी । अंग्रेजों के कुशासन से मुक्ति मिल गई लेकिन अपने ही लोग परजीवी शोषक बन गए हैं !
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    25 ऑगस्ट 2019
    behad hi lajawab...dil ko chu gai aapki rachana..nice creation 👌👌👌💐