मैं तो एक पागल हूं प्रतिलिपि पर आकर मेरा पागलपन बढ़ता है
देना चाहती हूं हर किसी को सुकून.........
पर मेरा खुद के सुकून का हर शब्द ना जाने कितने लोगों के एहसासों का क़त्ल करता है
विराट उज्जवल हमारा तीन साल का बेटा है और हम अपने सुकूँ के लिये लिख रहे है
हमें एक बेचैनी यहाँ खींच कर लायी है
घड़ी की सुई एक जगह रूकती कहाँ है
जिंदगी हर पल बदलती....
सभी की जिंदगी एक जैसी ना है
काश हर कोई ये समझ जाता
जितना जिसे मिला उतने में ही खुश रह पाता
सुप्रभा चौधरी
रिपोर्ट की समस्या
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