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कुंठित मन भाग 2 सत्यकथा पर आधारित
Kiran Singh
4.8
कुंठित मन भाग 2 इस कहानी को समझने के लिए कुंठित मन भाग 1 जरूर पढ़े देव ने बहुत परेशानियां झेली थी। उसके माता पिता बचपन में एक आपदा के तहत चल बसे थे। उसकी जगह अगर कोई और होता तो शायद जिंदा ...
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आपकी कहानी ने रुला दिया मांजी। पहले लेखक के माता पिता की मृत्यु। फिर बड़े भाई साहब और मँझले भाई साहब के यहाँ यातनाएं सहना। भाभी का व्यवहार सच में अमानवीय था।लेकिन बहन ने बहुत साथ दिया। लेखक का डॉक्टर बन जाना उसकी कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम था। वह जो भी अपनी पत्नी के साथ करता था वो अपने भूतकाल की वजह से ही करता था। इंसान अपने पास्ट से चाहे जितना भाग ले लेकिन वह भाग नहीं सकता। कुछ ऐसा ही इस कहानी में कहा गया है। बचपन में मिले दर्द हमारे मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ देते हैं ना जाने मुझे ऐसा क्यों लगा की यह मेरी ही कहानी है। रुलाने के लिए आपका dhnyvaad😢😢😢💐
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निःशब्द हूँ । अगर ये सत्य घटना पर आधारित है तो नायक ने कितना सहा होगा ये सोच कर मन द्रवित हो रहा है । कहानी इतनी सजीव है कि मुझे तो लग रहा है कि आपने अपनी ही आपबीती सुना दी । बस दर्द को जी रही हूँ ।
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ये ज़िन्दगी है ,न जाने किन किन मोड़ों पर गुजरना पड़े,लेकिन ऐसे माहोल में डॉ बन जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने पढ़ाई में योगदान दिया
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