अधूरी ख्वाहिशों की देखो इक, खुली किताब हुए बैठे हैं, हमें पता भी ना चला और, वो हम में बेहिसाब हुए बैठे हैं। दिखाई दे रहा है बेशुमार इश्क़, वो आँखों में कैद किये बैठे हैं, हम दोनों ही वाकिफ़ हालात ...
"ऐ मेरी ज़िंदगी क्यों खुद से बेखबर है,
तजुर्बों का तू इक खूबसूरत शहर है।"😊
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सारांश
"ऐ मेरी ज़िंदगी क्यों खुद से बेखबर है,
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रिपोर्ट की समस्या
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