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कवितावली-कवितावली

4.7
5708

<p>गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित कवितावली, भगवान श्रीरामचंद्र जी के जीवन एवं उनकी स्तुति को समर्पित, ३२५ छंदों को ७ सात भागों में विभक्त की हुई रचना है।</p> <div>कवित्त, सवैय्ये, घनाक्षरी एवं ...

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कवितावली-बालकाण्ड
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गोस्वामी तुलसीदास
4

रेफ आत्मचिन्मय अकल, परब्रह्म पररूप। हरि-हर-अज-वन्दित-चरन, अगुण अनीह अनूप॥१॥ बालकेलि दशरथ-अजिर, करत सो फिरत सभाय। पदनखेन्दु तेहि ध्यान धरि विचरत तिलक बनाय॥२॥ अनिलसुवन पदपद्मरज, प्रेम सहित शिर धार। ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : गोस्वामी तुलसीदास(मूलनाम: रामबोला) जन्म : 9 सितंबर 1497, राजापुर(चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) देहावसान : 7 जनवरी 1623, असि घाट, वाराणसी(उत्तर प्रदेश) भाषा : हिन्दी, अवधी, संस्कृत विधाएँ : दोहे, छंद, चौपाई गोस्वामी तुलसीदास भारत के सबसे प्रसिद्ध रचनाकारों में से एक हैं, उनकी कालजयी रचना &#39;राम चरित मानस&#39; जो कि वाल्मीकि कृत &#39;रामायण&#39; का अवधी भाषांतर है हिन्दुओं में बड़े चाव से पड़ा जाता है। तुलसीदास को कुछ लोग वाल्मीकि का अवतार भी मानते हैं जिसकी वजह से उनका एक उपनाम अभिनव-वाल्मीकि भी है। तुलसीदास भगवान श्रीराम के परम भक्त थे एवं उन्होने राम चरित मानस के अलावा विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली जैसी अनेक प्रतिष्ठित रचनाओं का सृजन भी किया है।

समीक्षा
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  • author
    21 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    इस अतुल्य कृति की समीक्षा मैं करूँ, इतनी सामर्थ्य मुझमें नही। राम सिया लखन सङ्ग बाबा तुलसी को सम्पूर्ण कविकुल की ओर से श्रद्धावनत प्रणाम!
  • author
    06 ഡിസംബര്‍ 2018
    चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देते रघुवीर।।
  • author
    Anil Mishra
    07 ഒക്റ്റോബര്‍ 2018
    क्या मैं लिखुँ मुझमें सामर्थ्य नहीं है। इतना अवश्य कहूँगा कि संकलनश्रेस्ठ है। यदि यह विवेचन के साथ प्रस्तुत किया गया होता तो अति उत्तम।
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    21 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    इस अतुल्य कृति की समीक्षा मैं करूँ, इतनी सामर्थ्य मुझमें नही। राम सिया लखन सङ्ग बाबा तुलसी को सम्पूर्ण कविकुल की ओर से श्रद्धावनत प्रणाम!
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    06 ഡിസംബര്‍ 2018
    चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देते रघुवीर।।
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    Anil Mishra
    07 ഒക്റ്റോബര്‍ 2018
    क्या मैं लिखुँ मुझमें सामर्थ्य नहीं है। इतना अवश्य कहूँगा कि संकलनश्रेस्ठ है। यदि यह विवेचन के साथ प्रस्तुत किया गया होता तो अति उत्तम।